( तर्ज - मुझे क्या काम दुनियासे ० )
अजब तेरा तमासा है ,
जमानेके भितर बाबा !
खुला दरबार है तेरा ,
नजर परता उपर बाबा ! ॥टेक ॥
कहाँ तो बंदगाई है ,
कहाँ है बादशाही भी ।
फकीरी भी कहीं पावे ,
कहीं है नारिनर बाबा ! ॥१ ॥
किसीको जन्मसे पैसा ,
किसीको पड़ रहे फाँके ।
भेद न्यारे हैं दुनियाके ,
कहीं हीरे - पत्थर बाबा ॥२ ॥
कोई दुखिया बना फिरता ,
न कौड़ी पेटको पावे ।
कोई उमराव बनबनके ,
उडाते हैं इतर बाबा ! || ३ ||
सभीमे तू समाया है ,
भेद न्यारा बनाकरके ।
वह तुकड्यादास कहता है ,
लखे बिरला जिकर बाबा ! ॥४ ॥
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